Thursday, 5 December, 2024

Ayodhya without Ram unimaginable – Sita

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Ayodhya without Ram unimaginable – Sita

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राम बिना अयोध्या में रहना मुश्किल – सीता    
 
मातु पिता भगिनी प्रिय भाई । प्रिय परिवारु सुह्रद समुदाई ॥
सासु ससुर गुर सजन सहाई । सुत सुंदर सुसील सुखदाई ॥१॥
 
जहँ लगि नाथ नेह अरु नाते । पिय बिनु तियहि तरनिहु ते ताते ॥
तनु धनु धामु धरनि पुर राजू । पति बिहीन सबु सोक समाजू ॥२॥
 
भोग रोगसम भूषन भारू । जम जातना सरिस संसारू ॥
प्राननाथ तुम्ह बिनु जग माहीं । मो कहुँ सुखद कतहुँ कछु नाहीं ॥३॥
 
जिय बिनु देह नदी बिनु बारी । तैसिअ नाथ पुरुष बिनु नारी ॥
नाथ सकल सुख साथ तुम्हारें । सरद बिमल बिधु बदनु निहारें ॥४॥
 
(दोहा)  
खग मृग परिजन नगरु बनु बलकल बिमल दुकूल ।
नाथ साथ सुरसदन सम परनसाल सुख मूल ॥ ६५ ॥

 

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