Tuesday, 12 November, 2024

Bal Kand Doha 267

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Bal Kand  							Doha 267

Bal Kand Doha 267

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असफल प्रतियोगीयों की प्रतिक्रिया
 
(चौपाई)
बैनतेय बलि जिमि चह कागू । जिमि ससु चहै नाग अरि भागू ॥
जिमि चह कुसल अकारन कोही । सब संपदा चहै सिवद्रोही ॥१॥

लोभी लोलुप कल कीरति चहई । अकलंकता कि कामी लहई ॥
हरि पद बिमुख परम गति चाहा । तस तुम्हार लालचु नरनाहा ॥२॥

कोलाहलु सुनि सीय सकानी । सखीं लवाइ गईं जहँ रानी ॥
रामु सुभायँ चले गुरु पाहीं । सिय सनेहु बरनत मन माहीं ॥३॥

रानिन्ह सहित सोचबस सीया । अब धौं बिधिहि काह करनीया ॥
भूप बचन सुनि इत उत तकहीं । लखनु राम डर बोलि न सकहीं ॥४॥

(दोहा)
अरुन नयन भृकुटी कुटिल चितवत नृपन्ह सकोप ।
मनहुँ मत्त गजगन निरखि सिंघकिसोरहि चोप ॥ २६७ ॥

 

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