Saturday, 27 July, 2024

Bal Kand Doha 328

95 Views
Share :
Bal Kand  							Doha 328

Bal Kand Doha 328

95 Views

लग्न का वर्णन
 
(चौपाई)
पुनि जेवनार भई बहु भाँती । पठए जनक बोलाइ बराती ॥
परत पाँवड़े बसन अनूपा । सुतन्ह समेत गवन कियो भूपा ॥१॥

सादर सबके पाय पखारे । जथाजोगु पीढ़न्ह बैठारे ॥
धोए जनक अवधपति चरना । सीलु सनेहु जाइ नहिं बरना ॥२॥

बहुरि राम पद पंकज धोए । जे हर हृदय कमल महुँ गोए ॥
तीनिउ भाई राम सम जानी । धोए चरन जनक निज पानी ॥३॥

आसन उचित सबहि नृप दीन्हे । बोलि सूपकारी सब लीन्हे ॥
सादर लगे परन पनवारे । कनक कील मनि पान सँवारे ॥४॥

(दोहा)
सूपोदन सुरभी सरपि सुंदर स्वादु पुनीत ।
छन महुँ सब कें परुसि गे चतुर सुआर बिनीत ॥ ३२८ ॥

 

Share :

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *