Friday, 15 November, 2024

Bal Kand Doha 329

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Bal Kand  							Doha 329

Bal Kand Doha 329

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लग्न का वर्णन
 
(चौपाई)
पंच कवल करि जेवन लागे । गारि गान सुनि अति अनुरागे ॥
भाँति अनेक परे पकवाने । सुधा सरिस नहिं जाहिं बखाने ॥१॥

परुसन लगे सुआर सुजाना । बिंजन बिबिध नाम को जाना ॥
चारि भाँति भोजन बिधि गाई । एक एक बिधि बरनि न जाई ॥२॥

छरस रुचिर बिंजन बहु जाती । एक एक रस अगनित भाँती ॥
जेवँत देहिं मधुर धुनि गारी । लै लै नाम पुरुष अरु नारी ॥३॥

समय सुहावनि गारि बिराजा । हँसत राउ सुनि सहित समाजा ॥
एहि बिधि सबहीं भौजनु कीन्हा । आदर सहित आचमनु दीन्हा ॥४॥

(दोहा)
देइ पान पूजे जनक दसरथु सहित समाज ।
जनवासेहि गवने मुदित सकल भूप सिरताज ॥ ३२९ ॥

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