Sunday, 22 December, 2024

Bal Kand Doha 346

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Bal Kand  							Doha 346

Bal Kand Doha 346

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नवदंपतिओं का स्वागत
 
(चौपाई)
मोद प्रमोद बिबस सब माता। चलहिं न चरन सिथिल भए गाता ॥
राम दरस हित अति अनुरागीं। परिछनि साजु सजन सब लागीं ॥१॥
 
बिबिध बिधान बाजने बाजे। मंगल मुदित सुमित्राँ साजे ॥
हरद दूब दधि पल्लव फूला। पान पूगफल मंगल मूला ॥२॥
 
अच्छत अंकुर लोचन लाजा। मंजुल मंजरि तुलसि बिराजा ॥
छुहे पुरट घट सहज सुहाए। मदन सकुन जनु नीड़ बनाए ॥३॥
 
सगुन सुंगध न जाहिं बखानी। मंगल सकल सजहिं सब रानी ॥
रचीं आरतीं बहुत बिधाना। मुदित करहिं कल मंगल गाना ॥४॥
 
(दोहा)
कनक थार भरि मंगलन्हि कमल करन्हि लिएँ मात।
चलीं मुदित परिछनि करन पुलक पल्लवित गात ॥ ३४६ ॥

 

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