नवदंपतिओं का स्वागत
(चौपाई)
मोद प्रमोद बिबस सब माता। चलहिं न चरन सिथिल भए गाता ॥
राम दरस हित अति अनुरागीं। परिछनि साजु सजन सब लागीं ॥१॥
बिबिध बिधान बाजने बाजे। मंगल मुदित सुमित्राँ साजे ॥
हरद दूब दधि पल्लव फूला। पान पूगफल मंगल मूला ॥२॥
अच्छत अंकुर लोचन लाजा। मंजुल मंजरि तुलसि बिराजा ॥
छुहे पुरट घट सहज सुहाए। मदन सकुन जनु नीड़ बनाए ॥३॥
सगुन सुंगध न जाहिं बखानी। मंगल सकल सजहिं सब रानी ॥
रचीं आरतीं बहुत बिधाना। मुदित करहिं कल मंगल गाना ॥४॥
(दोहा)
कनक थार भरि मंगलन्हि कमल करन्हि लिएँ मात।
चलीं मुदित परिछनि करन पुलक पल्लवित गात ॥ ३४६ ॥