बहुओं के आने से अयोध्या की शोभा में अभिवृद्धि
(चौपाई)
भूप बिलोकि लिए उर लाई । बैठै हरषि रजायसु पाई ॥
देखि रामु सब सभा जुड़ानी । लोचन लाभ अवधि अनुमानी ॥१॥
पुनि बसिष्टु मुनि कौसिक आए । सुभग आसनन्हि मुनि बैठाए ॥
सुतन्ह समेत पूजि पद लागे । निरखि रामु दोउ गुर अनुरागे ॥२॥
कहहिं बसिष्टु धरम इतिहासा । सुनहिं महीसु सहित रनिवासा ॥
मुनि मन अगम गाधिसुत करनी । मुदित बसिष्ट बिपुल बिधि बरनी ॥३॥
बोले बामदेउ सब साँची । कीरति कलित लोक तिहुँ माची ॥
सुनि आनंदु भयउ सब काहू । राम लखन उर अधिक उछाहू ॥४॥
(दोहा)
मंगल मोद उछाह नित जाहिं दिवस एहि भाँति।
उमगी अवध अनंद भरि अधिक अधिक अधिकाति ॥ ३५९ ॥