रामचरितमानस कथा की तुलना
(चौपाई)
रामभगति सुरसरितहि जाई । मिली सुकीरति सरजु सुहाई ॥
सानुज राम समर जसु पावन । मिलेउ महानदु सोन सुहावन ॥१॥
जुग बिच भगति देवधुनि धारा । सोहति सहित सुबिरति बिचारा ॥
त्रिबिध ताप त्रासक तिमुहानी । राम सरुप सिंधु समुहानी ॥२॥
मानस मूल मिली सुरसरिही । सुनत सुजन मन पावन करिही ॥
बिच बिच कथा बिचित्र बिभागा । जनु सरि तीर तीर बन बागा ॥३॥
उमा महेस बिबाह बराती । ते जलचर अगनित बहुभाँती ॥
रघुबर जनम अनंद बधाई । भवँर तरंग मनोहरताई ॥४॥
(दोहा)
बालचरित चहु बंधु के बनज बिपुल बहुरंग ।
नृप रानी परिजन सुकृत मधुकर बारिबिहंग ॥ ४० ॥