Bharat and Guha look for Ram
By-Gujju01-05-2023
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राम को ढूँढने भरत चला गुह के साथ
जहँ तहँ लोगन्ह डेरा कीन्हा । भरत सोधु सबही कर लीन्हा ॥
सुर सेवा करि आयसु पाई । राम मातु पहिं गे दोउ भाई ॥१॥
चरन चाँपि कहि कहि मृदु बानी । जननीं सकल भरत सनमानी ॥
भाइहि सौंपि मातु सेवकाई । आपु निषादहि लीन्ह बोलाई ॥२॥
चले सखा कर सों कर जोरें । सिथिल सरीर सनेह न थोरें ॥
पूँछत सखहि सो ठाउँ देखाऊ । नेकु नयन मन जरनि जुड़ाऊ ॥३॥
जहँ सिय रामु लखनु निसि सोए । कहत भरे जल लोचन कोए ॥
भरत बचन सुनि भयउ बिषादू । तुरत तहाँ लइ गयउ निषादू ॥४॥
(दोहा)
जहँ सिंसुपा पुनीत तर रघुबर किय बिश्रामु ।
अति सनेहँ सादर भरत कीन्हेउ दंड प्रनामु ॥ १९८ ॥