Saturday, 27 July, 2024

Dialogue continue between Yajnavalkya and Bhardwaj

88 Views
Share :
Dialogue continue between Yajnavalkya and Bhardwaj

Dialogue continue between Yajnavalkya and Bhardwaj

88 Views

याज्ञवल्क्य भरद्वाज संवाद
 
(चौपाई)
मैं जाना तुम्हार गुन सीला । कहउँ सुनहु अब रघुपति लीला ॥
सुनु मुनि आजु समागम तोरें । कहि न जाइ जस सुखु मन मोरें ॥१॥
 
राम चरित अति अमित मुनिसा । कहि न सकहिं सत कोटि अहीसा ॥
तदपि जथाश्रुत कहउँ बखानी । सुमिरि गिरापति प्रभु धनुपानी ॥२॥
 
सारद दारुनारि सम स्वामी । रामु सूत्रधर अंतरजामी ॥
जेहि पर कृपा करहिं जनु जानी । कबि उर अजिर नचावहिं बानी ॥३॥
 
प्रनवउँ सोइ कृपाल रघुनाथा । बरनउँ बिसद तासु गुन गाथा ॥
परम रम्य गिरिबरु कैलासू । सदा जहाँ सिव उमा निवासू ॥४॥
 
(दोहा)
सिद्ध तपोधन जोगिजन सूर किंनर मुनिबृंद ।
बसहिं तहाँ सुकृती सकल सेवहिं सिब सुखकंद ॥ १०५ ॥

Share :

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *