![Himalaya advise Uma for penance](https://gujjuplanet.com/app/themes/twentytwentyone-child-new/images/not-found.png)
उमा को तप करने की हिमालय की सलाह
(चौपाई)
अब जौ तुम्हहि सुता पर नेहू । तौ अस जाइ सिखावन देहू ॥
करै सो तपु जेहिं मिलहिं महेसू । आन उपायँ न मिटहि कलेसू ॥१॥
नारद बचन सगर्भ सहेतू । सुंदर सब गुन निधि बृषकेतू ॥
अस बिचारि तुम्ह तजहु असंका । सबहि भाँति संकरु अकलंका ॥२॥
सुनि पति बचन हरषि मन माहीं । गई तुरत उठि गिरिजा पाहीं ॥
उमहि बिलोकि नयन भरे बारी । सहित सनेह गोद बैठारी ॥३॥
बारहिं बार लेति उर लाई । गदगद कंठ न कछु कहि जाई ॥
जगत मातु सर्बग्य भवानी । मातु सुखद बोलीं मृदु बानी ॥४॥
(दोहा)
सुनहि मातु मैं दीख अस सपन सुनावउँ तोहि ।
सुंदर गौर सुबिप्रबर अस उपदेसेउ मोहि ॥ ७२ ॥