Importance of Satsang
By-Gujju01-05-2023
Importance of Satsang
By Gujju01-05-2023
संतसमागम की महिमा
(चौपाई)
मज्जन फल पेखिअ ततकाला । काक होहिं पिक बकउ मराला ॥
सुनि आचरज करै जनि कोई । सतसंगति महिमा नहिं गोई ॥१॥
बालमीक नारद घटजोनी । निज निज मुखनि कही निज होनी ॥
जलचर थलचर नभचर नाना । जे जड़ चेतन जीव जहाना ॥२॥
मति कीरति गति भूति भलाई । जब जेहिं जतन जहाँ जेहिं पाई ॥
सो जानब सतसंग प्रभाऊ । लोकहुँ बेद न आन उपाऊ ॥३॥
बिनु सतसंग बिबेक न होई । राम कृपा बिनु सुलभ न सोई ॥
सतसंगत मुद मंगल मूला । सोइ फल सिधि सब साधन फूला ॥४॥
सठ सुधरहिं सतसंगति पाई । पारस परस कुधात सुहाई ॥
बिधि बस सुजन कुसंगत परहीं ।फनि मनि सम निज गुन अनुसरहीं ॥५॥
बिधि हरि हर कबि कोबिद बानी । कहत साधु महिमा सकुचानी ॥
सो मो सन कहि जात न कैसें । साक बनिक मनि गुन गन जैसें ॥६॥
(दोहा)
बंदउँ संत समान चित हित अनहित नहिं कोइ ।
अंजलि गत सुभ सुमन जिमि सम सुगंध कर दोइ ॥३(क)॥
संत सरल चित जगत हित जानि सुभाउ सनेहु ।
बालबिनय सुनि करि कृपा राम चरन रति देहु ॥३(ख)॥