Journey begin
By-Gujju01-05-2023
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यात्रा का प्रारंभ
चक्क चक्कि जिमि पुर नर नारी । चहत प्रात उर आरत भारी ॥
जागत सब निसि भयउ बिहाना । भरत बोलाए सचिव सुजाना ॥१॥
कहेउ लेहु सबु तिलक समाजू । बनहिं देब मुनि रामहिं राजू ॥
बेगि चलहु सुनि सचिव जोहारे । तुरत तुरग रथ नाग सँवारे ॥२॥
अरुंधती अरु अगिनि समाऊ । रथ चढ़ि चले प्रथम मुनिराऊ ॥
बिप्र बृंद चढ़ि बाहन नाना । चले सकल तप तेज निधाना ॥३॥
नगर लोग सब सजि सजि जाना । चित्रकूट कहँ कीन्ह पयाना ॥
सिबिका सुभग न जाहिं बखानी । चढ़ि चढ़ि चलत भई सब रानी ॥४॥
(दोहा)
सौंपि नगर सुचि सेवकनि सादर सकल चलाइ ।
सुमिरि राम सिय चरन तब चले भरत दोउ भाइ ॥ १८७ ॥