Monday, 23 December, 2024

King’s enemy, Kalketu arrive at the scene

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King’s enemy, Kalketu arrive at the scene

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कालकेतु का आगमन 
 
(चौपाई)
सयन कीन्ह नृप आयसु मानी । आसन जाइ बैठ छलग्यानी ॥
श्रमित भूप निद्रा अति आई । सो किमि सोव सोच अधिकाई ॥१॥
 
कालकेतु निसिचर तहँ आवा । जेहिं सूकर होइ नृपहि भुलावा ॥
परम मित्र तापस नृप केरा । जानइ सो अति कपट घनेरा ॥२॥
 
तेहि के सत सुत अरु दस भाई । खल अति अजय देव दुखदाई ॥
प्रथमहि भूप समर सब मारे । बिप्र संत सुर देखि दुखारे ॥३॥
 
तेहिं खल पाछिल बयरु सँभरा । तापस नृप मिलि मंत्र बिचारा ॥
जेहि रिपु छय सोइ रचेन्हि उपाऊ । भावी बस न जान कछु राऊ ॥४॥
 
(दोहा)
रिपु तेजसी अकेल अपि लघु करि गनिअ न ताहु ।
अजहुँ देत दुख रबि ससिहि सिर अवसेषित राहु ॥ १७० ॥

 

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