साधु स्वयं ब्रह्मभोजन के लिए खाना पकायेगा
(चौपाई)
एहि बिधि भूप कष्ट अति थोरें । होइहहिं सकल बिप्र बस तोरें ॥
करिहहिं बिप्र होम मख सेवा । तेहिं प्रसंग सहजेहिं बस देवा ॥१॥
और एक तोहि कहऊँ लखाऊ । मैं एहि बेष न आउब काऊ ॥
तुम्हरे उपरोहित कहुँ राया । हरि आनब मैं करि निज माया ॥२॥
तपबल तेहि करि आपु समाना । रखिहउँ इहाँ बरष परवाना ॥
मैं धरि तासु बेषु सुनु राजा । सब बिधि तोर सँवारब काजा ॥३॥
गै निसि बहुत सयन अब कीजे । मोहि तोहि भूप भेंट दिन तीजे ॥
मैं तपबल तोहि तुरग समेता । पहुँचेहउँ सोवतहि निकेता ॥४॥
(दोहा)
मैं आउब सोइ बेषु धरि पहिचानेहु तब मोहि ।
जब एकांत बोलाइ सब कथा सुनावौं तोहि ॥ १६९ ॥