Monday, 4 November, 2024

Let me go in forest – Ram tell Dashrath

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Let me go in forest – Ram tell Dashrath

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राम ने दशरथ से कहा – खुशी से वनवास की आज्ञा दो  
 
अजसु होउ जग सुजसु नसाऊ । नरक परौ बरु सुरपुरु जाऊ ॥
सब दुख दुसह सहावहु मोही । लोचन ओट रामु जनि होंही ॥१॥
 
अस मन गुनइ राउ नहिं बोला । पीपर पात सरिस मनु डोला ॥
रघुपति पितहि प्रेमबस जानी । पुनि कछु कहिहि मातु अनुमानी ॥२॥
 
देस काल अवसर अनुसारी । बोले बचन बिनीत बिचारी ॥
तात कहउँ कछु करउँ ढिठाई । अनुचितु छमब जानि लरिकाई ॥३॥
 
अति लघु बात लागि दुखु पावा । काहुँ न मोहि कहि प्रथम जनावा ॥
देखि गोसाइँहि पूँछिउँ माता । सुनि प्रसंगु भए सीतल गाता ॥४॥
 
(दोहा)  
मंगल समय सनेह बस सोच परिहरिअ तात ।
आयसु देइअ हरषि हियँ कहि पुलके प्रभु गात ॥ ४५ ॥

 

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