Saturday, 27 July, 2024

Monkey army meet an ascetic

100 Views
Share :
Monkey army meet an ascetic

Monkey army meet an ascetic

100 Views

तपस्विनी से भेंट
 
दूरि ते ताहि सबन्हि सिर नावा । पूछें निज बृत्तांत सुनावा ॥
तेहिं तब कहा करहु जल पाना । खाहु सुरस सुंदर फल नाना ॥१॥
 
मज्जनु कीन्ह मधुर फल खाए । तासु निकट पुनि सब चलि आए ॥
तेहिं सब आपनि कथा सुनाई । मैं अब जाब जहाँ रघुराई ॥२॥
 
मूदहु नयन बिबर तजि जाहू । पैहहु सीतहि जनि पछिताहू ॥
नयन मूदि पुनि देखहिं बीरा । ठाढ़े सकल सिंधु कें तीरा ॥३॥
 
सो पुनि गई जहाँ रघुनाथा । जाइ कमल पद नाएसि माथा ॥
नाना भाँति बिनय तेहिं कीन्ही । अनपायनी भगति प्रभु दीन्ही ॥४॥
 
(दोहा)   
बदरीबन कहुँ सो गई प्रभु अग्या धरि सीस  ।
उर धरि राम चरन जुग जे बंदत अज ईस ॥ २५ ॥

 

Share :

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *