Ram reach Kaikeyi’s place
By-Gujju01-05-2023
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खबर मिलते राम कैकेयी के भवन पर पहूँचे
सूखहिं अधर जरइ सबु अंगू । मनहुँ दीन मनिहीन भुअंगू ॥
सरुष समीप दीखि कैकेई । मानहुँ मीचु घरी गनि लेई ॥
करुनामय मृदु राम सुभाऊ । प्रथम दीख दुखु सुना न काऊ ॥
तदपि धीर धरि समउ बिचारी । पूँछी मधुर बचन महतारी ॥२॥
मोहि कहु मातु तात दुख कारन । करिअ जतन जेहिं होइ निवारन ॥
सुनहु राम सबु कारन एहू । राजहि तुम पर बहुत सनेहू ॥३॥
देन कहेन्हि मोहि दुइ बरदाना । मागेउँ जो कछु मोहि सोहाना ।
सो सुनि भयउ भूप उर सोचू । छाड़ि न सकहिं तुम्हार सँकोचू ॥४॥
(दोहा)
सुत सनेह इत बचनु उत संकट परेउ नरेसु ।
सकहु न आयसु धरहु सिर मेटहु कठिन कलेसु ॥ ४० ॥