Monday, 4 November, 2024

Ram send Bali to heavan

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Ram send Bali to heavan

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श्रीराम ने बालि को मरणोत्तर सदगति दी
 
सुनत राम अति कोमल बानी । बालि सीस परसेउ निज पानी ॥
अचल करौं तनु राखहु प्राना । बालि कहा सुनु कृपानिधाना ॥१॥
 
जन्म जन्म मुनि जतनु कराहीं । अंत राम कहि आवत नाहीं ॥
जासु नाम बल संकर कासी । देत सबहि सम गति अविनासी ॥२॥
 
मम लोचन गोचर सोइ आवा । बहुरि कि प्रभु अस बनिहि बनावा ॥३॥
 
(छंद)
सो नयन गोचर जासु गुन नित नेति कहि श्रुति गावहीं ।
जिति पवन मन गो निरस करि मुनि ध्यान कबहुँक पावहीं ॥
मोहि जानि अति अभिमान बस प्रभु कहेउ राखु सरीरही ।
अस कवन सठ हठि काटि सुरतरु बारि करिहि बबूरही ॥
 
अब नाथ करि करुना बिलोकहु देहु जो बर मागऊँ ।
जेहिं जोनि जन्मौं कर्म बस तहँ राम पद अनुरागऊँ ॥
यह तनय मम सम बिनय बल कल्यानप्रद प्रभु लीजिऐ ।
गहि बाहँ सुर नर नाह आपन दास अंगद कीजिऐ ॥
 
(दोहा)
राम चरन दृढ़ प्रीति करि बालि कीन्ह तनु त्याग ।
सुमन माल जिमि कंठ ते गिरत न जानइ नाग ॥ १० ॥

 

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