मै राजगादी के लिए योग्य नहीं – भरत कैकइ सुअन जोगु जग जोई । चतुर बिरंचि दीन्ह मोहि सोई ॥ दसरथ तनय राम लघु भाई । दीन्हि मोहि बिधि बादि बड़ाई ॥१॥...
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અયોધ્યા કાંડ
02-05-2023
Ayodhya Kand Doha 181
02-05-2023
Ayodhya Kand Doha 209
भरत के रामप्रेम की भारद्वाज मुनि ने प्रसंशा की नव बिधु बिमल तात जसु तोरा । रघुबर किंकर कुमुद चकोरा ॥ उदित सदा अँथइहि कबहूँ ना । घटिहि न जग नभ दिन द...
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02-05-2023
Ayodhya Kand Doha 210
भरत के रामप्रेम की भारद्वाज मुनि ने प्रसंशा की कीरति बिधु तुम्ह कीन्ह अनूपा । जहँ बस राम पेम मृगरूपा ॥ तात गलानि करहु जियँ जाएँ । डरहु दरिद्रहि पार...
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02-05-2023
Ayodhya Kand Doha 212
भरत अपनी व्यथा व्यक्त करता है एहि दुख दाहँ दहइ दिन छाती । भूख न बासर नीद न राती ॥ एहि कुरोग कर औषधु नाहीं । सोधेउँ सकल बिस्व मन माहीं ॥१॥ मातु कुमत...
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02-05-2023
Ayodhya Kand Doha 214
भरद्वाज मुनि द्वारा रसाले का स्वागत रिधि सिधि सिर धरि मुनिबर बानी । बड़भागिनि आपुहि अनुमानी ॥ कहहिं परसपर सिधि समुदाई । अतुलित अतिथि राम लघु भाई ॥१॥...
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02-05-2023
Ayodhya Kand Doha 232
श्रीराम लक्ष्मण को धीरज रखने के लिए कहते है तिमिरु तरुन तरनिहि मकु गिलई । गगनु मगन मकु मेघहिं मिलई ॥ गोपद जल बूड़हिं घटजोनी । सहज छमा बरु छाड़ै छोनी...
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02-05-2023
Ayodhya Kand Doha 262
मैं ही सर्व अनर्थो का मूल हूँ – भरत भूपति मरन पेम पनु राखी । जननी कुमति जगतु सबु साखी ॥देखि न जाहि बिकल महतारी । जरहिं दुसह जर पुर नर नारी ॥१...
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02-05-2023
Ayodhya Kand Doha 280
वनवासीओं का आतिथ्य एहि बिधि बासर बीते चारी । रामु निरखि नर नारि सुखारी ॥ दुहु समाज असि रुचि मन माहीं । बिनु सिय राम फिरब भल नाहीं ॥१॥ सीता राम संग...
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02-05-2023
Ayodhya Kand Doha 284
कौशल्या और सुनयना का संवाद रानि राय सन अवसरु पाई । अपनी भाँति कहब समुझाई ॥ रखिअहिं लखनु भरतु गबनहिं बन । जौं यह मत मानै महीप मन ॥१॥ तौ भल जतनु करब ...
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02-05-2023
Ayodhya Kand Doha 287
महाराजा जनक सीता को मिलते है तापस बेष जनक सिय देखी । भयउ पेमु परितोषु बिसेषी ॥ पुत्रि पवित्र किए कुल दोऊ । सुजस धवल जगु कह सबु कोऊ ॥१॥ जिति सुरसरि ...
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02-05-2023
Bharat’s love move Janak
भरत के व्यवहार से महाराजा जनक मुग्ध सुनि भूपाल भरत ब्यवहारू । सोन सुगंध सुधा ससि सारू ॥ मूदे सजल नयन पुलके तन । सुजसु सराहन लगे मुदित मन ॥१॥ सावधान...
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02-05-2023
Bharat stay wtih Ram, Laxman return Ayodhya – Janak
भरत वन में और लक्ष्मण अयोध्या में – जनक का सुझाव अगम सबहि बरनत बरबरनी । जिमि जलहीन मीन गमु धरनी ॥ भरत अमित महिमा सुनु रानी । जानहिं रामु न सकहिं बख...
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