श्रीराम की पादुका सिंहासन पर स्थापित सचिव सुसेवक भरत प्रबोधे । निज निज काज पाइ पाइ सिख ओधे ॥ पुनि सिख दीन्ह बोलि लघु भाई । सौंपी सकल मातु सेवकाई ...
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અયોધ્યા કાંડ
02-05-2023
Ram’s sandals on the throne
02-05-2023
Bharat stay in Nandigram as hermit
तपस्वी के वेश में भरत नंदीग्राम में रहे राम मातु गुर पद सिरु नाई । प्रभु पद पीठ रजायसु पाई ॥ नंदिगावँ करि परन कुटीरा । कीन्ह निवासु धरम धुर धीरा ...
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02-05-2023
Bharat lead the life of an ascetic
तपस्वी के वेश में भरत नंदीग्राम में रहे देह दिनहुँ दिन दूबरि होई । घटइ तेजु बलु मुखछबि सोई ॥ नित नव राम प्रेम पनु पीना । बढ़त धरम दलु मनु न मलीना ...
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02-05-2023
Bharat – a great character
भरत चरित्र की महिमा पुलक गात हियँ सिय रघुबीरू । जीह नामु जप लोचन नीरू ॥ लखन राम सिय कानन बसहीं । भरतु भवन बसि तप तनु कसहीं ॥१॥ दोउ दिसि समुझि कहत...
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01-05-2023
Where is Ram – Dashrath ask Sumantra
राम कहाँ है – दशरथ का सुमंत्र को प्रश्न अति आरति सब पूँछहिं रानी । उतरु न आव बिकल भइ बानी ॥ सुनइ न श्रवन नयन नहिं सूझा । कहहु कहाँ नृप तेहि तेहि बू...
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01-05-2023
Manthara continue her efforts
मंथरा ने अपनी कोशिश जारी रखी एकहिं बार आस सब पूजी । अब कछु कहब जीभ करि दूजी ॥ फोरै जोगु कपारु अभागा । भलेउ कहत दुख रउरेहि लागा ॥१॥ कहहिं झूठि फुर...
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01-05-2023
Sumantra narrate his journey
सुमंत्र राम के साथ अपनी अनुभव के बारे में बताता है तेहि अवसर रघुबर रूख पाई । केवट पारहि नाव चलाई ॥ रघुकुलतिलक चले एहि भाँती । देखउँ ठाढ़ कुलिस धरि छ...
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01-05-2023
Take me to Ram – Dashratha tell Sumantra
मुझे राम के पास ले चलो – दशरथ ने सुमंत्र को कहा भूप सुमंत्रु लीन्ह उर लाई । बूड़त कछु अधार जनु पाई ॥ सहित सनेह निकट बैठारी । पूँछत राउ नयन भरि बारी ...
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01-05-2023
Dashrath lose patience
पुत्रविरह से दशरथ व्याकुल हुए प्रान कंठगत भयउ भुआलू । मनि बिहीन जनु ब्याकुल ब्यालू ॥ इद्रीं सकल बिकल भइँ भारी । जनु सर सरसिज बनु बिनु बारी ॥१॥ कौसल...
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01-05-2023
Sumantra update Dashrath about Ram
सुमंत्र राम के वनवास का वर्णन करता है पुनि पुनि पूँछत मंत्रहि राऊ । प्रियतम सुअन सँदेस सुनाऊ ॥ करहि सखा सोइ बेगि उपाऊ । रामु लखनु सिय नयन देखाऊ ॥१॥...
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01-05-2023
Ram’s coronation disastrous for Kaikeyi – Manthara
राम के गादीनशिन होने से कैकेयी को खतरा – मंथरा भावी बस प्रतीति उर आई । पूँछ रानि पुनि सपथ देवाई ॥ का पूछहुँ तुम्ह अबहुँ न जाना । निज हित अन...
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01-05-2023
Ram’s message
राम का संदेश पुरजन परिजन सकल निहोरी । तात सुनाएहु बिनती मोरी ॥ सोइ सब भाँति मोर हितकारी । जातें रह नरनाहु सुखारी ॥१॥ कहब सँदेसु भरत के आएँ । नीति न...
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