सात प्रश्न और काकभुशुंडी के उत्तर पुनि सप्रेम बोलेउ खगराऊ । जौं कृपाल मोहि ऊपर भाऊ ॥ नाथ मोहि निज सेवक जानी । सप्त प्रस्न कहहु बखानी ॥१॥ प्रथमहिं क...
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ઉત્તર કાંડ
01-05-2023
Seven questions and Kakbhushundi’s answers
01-05-2023
Kakbhushundi stress on the path of devotion
काकभुशुंडी ने भक्ति पर जोर दिया एहि बिधि सकल जीव जग रोगी । सोक हरष भय प्रीति बियोगी ॥ मानक रोग कछुक मैं गाए । हहिं सब कें लखि बिरलेन्ह पाए ॥१॥ जाने...
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01-05-2023
Kakbhushundi conclude Ram-katha
काकभुशुंडी ने रामकथा को विराम दिया कहेउँ नाथ हरि चरित अनूपा । ब्यास समास स्वमति अनुरुपा ॥ श्रुति सिद्धांत इहइ उरगारी । राम भजिअ सब काज बिसारी ॥१॥ प...
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01-05-2023
Uttar Kand Doha 124
काकभुशुंडी ने रामकथा को विराम दिया सुमिरि राम के गुन गन नाना । पुनि पुनि हरष भुसुंडि सुजाना ॥ महिमा निगम नेति करि गाई । अतुलित बल प्रताप प्रभुताई ॥...
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01-05-2023
Garuda leave for Vaikunth
रामकथा सुनकर गरुडजी वैकुंठ चले मै कृत्कृत्य भयउँ तव बानी । सुनि रघुबीर भगति रस सानी ॥ राम चरन नूतन रति भई । माया जनित बिपति सब गई ॥१॥ मोह जलधि बोहि...
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01-05-2023
Ramayan mahatmya
रामकथा का माहात्म्य कहेउँ परम पुनीत इतिहासा । सुनत श्रवन छूटहिं भव पासा ॥ प्रनत कल्पतरु करुना पुंजा । उपजइ प्रीति राम पद कंजा ॥१॥ मन क्रम बचन जनित ...
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01-05-2023
Hail to devotees of Lord Ram
श्रीराम के भक्त धन्य है सोइ सर्बग्य गुनी सोइ ग्याता । सोइ महि मंडित पंडित दाता ॥ धर्म परायन सोइ कुल त्राता । राम चरन जा कर मन राता ॥१॥ नीति निपुन स...
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01-05-2023
Who is fit to listen Ram-katha ?
रामकथा किसे सुनानी चाहिए मति अनुरूप कथा मैं भाषी । जद्यपि प्रथम गुप्त करि राखी ॥ तव मन प्रीति देखि अधिकाई । तब मैं रघुपति कथा सुनाई ॥१॥ यह न कहिअ स...
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01-05-2023
Effect of Ram-katha
रामकथा का प्रभाव राम कथा गिरिजा मैं बरनी । कलि मल समनि मनोमल हरनी ॥ संसृति रोग सजीवन मूरी । राम कथा गावहिं श्रुति सूरी ॥ एहि महँ रुचिर सप्त सोपा...
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01-05-2023
Closing verses
समापन (श्लोक)यत्पूर्व प्रभुणा कृतं सुकविना श्रीशम्भुना दुर्गमं श्रीमद्रामपदाब्जभक्तिमनिशं प्राप्त्यै तु रामायणम । मत्वा तद्रघुनाथमनिरतं स्वान्तस्तम...
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29-04-2023
Ayodhya at its best
श्रीराम के शासन में अयोध्या की खुशहाली दूरि फराक रुचिर सो घाटा । जहँ जल पिअहिं बाजि गज ठाटा ॥ पनिघट परम मनोहर नाना । तहाँ न पुरुष करहिं अस्नाना ॥१॥...
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