रावण ने गुप्तचरों से वानरसेना की ताकत का अंदाजा लगाया
ए कपि सब सुग्रीव समाना । इन्ह सम कोटिन्ह गनइ को नाना ॥
राम कृपाँ अतुलित बल तिन्हहीं । तृन समान त्रैलोकहि गनहीं ॥१॥
E kapi sab Sugreev samaana Inh sam kotinh ganai ko nana ।
Raam krupa atulit bal tinhahee Trun samaan trailokahi ganahee ॥
अस मैं सुना श्रवन दसकंधर । पदुम अठारह जूथप बंदर ॥
नाथ कटक महँ सो कपि नाहीं । जो न तुम्हहि जीतै रन माहीं ॥२॥
As mai suna shravan dasakandhar Padum atharah juthap Bandar ।
Naath katak mah so kapi naahee Jo na tumhahi jetai ran maahee ॥
परम क्रोध मीजहिं सब हाथा । आयसु पै न देहिं रघुनाथा ॥
सोषहिं सिंधु सहित झष ब्याला । पूरहिं न त भरि कुधर बिसाला ॥३॥
Param krodh meejahi sab haatha Aayasu pain a dehi raghunaatha ।
Soshahi sindhu sahit zash byaala Poorahi na ta bhari kudhar bisaala ॥
मर्दि गर्द मिलवहिं दससीसा । ऐसेइ बचन कहहिं सब कीसा ॥
गर्जहिं तर्जहिं सहज असंका । मानहुँ ग्रसन चहत हहिं लंका ॥४॥
Mardi gard milavahi dasaseesa Aisei bachan kahahi sab keesa ।
Garjahi tarjahi sahaj asanka Maanahu grasan chahat hahi Lanka ॥
(दोहा)
सहज सूर कपि भालु सब पुनि सिर पर प्रभु राम ।
रावन काल कोटि कहुँ जीति सकहिं संग्राम ॥ ५५ ॥
Sahaj soor kapi bhaalu sab puni sir par prabhu Raam ।
Raavan kaal koti kahu jeeti sakahi sangraam ॥