Sita meet everyone
By-Gujju01-05-2023
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सीता सबको मिलती है
सीय आइ मुनिबर पग लागी । उचित असीस लही मन मागी ॥
गुरपतिनिहि मुनितियन्ह समेता । मिली पेमु कहि जाइ न जेता ॥१॥
बंदि बंदि पग सिय सबही के । आसिरबचन लहे प्रिय जी के ॥
सासु सकल जब सीयँ निहारीं । मूदे नयन सहमि सुकुमारीं ॥२॥
परीं बधिक बस मनहुँ मरालीं । काह कीन्ह करतार कुचालीं ॥
तिन्ह सिय निरखि निपट दुखु पावा । सो सबु सहिअ जो दैउ सहावा ॥३॥
जनकसुता तब उर धरि धीरा । नील नलिन लोयन भरि नीरा ॥
मिली सकल सासुन्ह सिय जाई । तेहि अवसर करुना महि छाई ॥४॥
(दोहा)
लागि लागि पग सबनि सिय भेंटति अति अनुराग ।
हृदयँ असीसहिं पेम बस रहिअहु भरी सोहाग ॥ २४६ ॥