Saturday, 27 July, 2024

Bal Kand Doha 200

135 Views
Share :
Bal Kand  							Doha 200

Bal Kand Doha 200

135 Views

कुंवरो की बाललीला का वर्णन
 
(चौपाई)
एहि बिधि राम जगत पितु माता । कोसलपुर बासिन्ह सुखदाता ॥
जिन्ह रघुनाथ चरन रति मानी । तिन्ह की यह गति प्रगट भवानी ॥१॥

रघुपति बिमुख जतन कर कोरी । कवन सकइ भव बंधन छोरी ॥
जीव चराचर बस कै राखे । सो माया प्रभु सों भय भाखे ॥२॥

भृकुटि बिलास नचावइ ताही । अस प्रभु छाड़ि भजिअ कहु काही ॥
मन क्रम बचन छाड़ि चतुराई । भजत कृपा करिहहिं रघुराई ॥३॥

एहि बिधि सिसुबिनोद प्रभु कीन्हा । सकल नगरबासिन्ह सुख दीन्हा ॥
लै उछंग कबहुँक हलरावै । कबहुँ पालनें घालि झुलावै ॥४॥

(दोहा)
प्रेम मगन कौसल्या निसि दिन जात न जान ।
सुत सनेह बस माता बालचरित कर गान ॥ २०० ॥

 

Share :

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *