Sunday, 8 September, 2024

Bal Kand Doha 204

201 Views
Share :
Bal Kand  							Doha 204

Bal Kand Doha 204

201 Views

कुंवरो की बाललीलाओं का वर्णन
 
(चौपाई)
बालचरित अति सरल सुहाए । सारद सेष संभु श्रुति गाए ॥
जिन कर मन इन्ह सन नहिं राता । ते जन बंचित किए बिधाता ॥१॥

भए कुमार जबहिं सब भ्राता । दीन्ह जनेऊ गुरु पितु माता ॥
गुरगृहँ गए पढ़न रघुराई । अलप काल बिद्या सब आई ॥२॥

जाकी सहज स्वास श्रुति चारी । सो हरि पढ़ यह कौतुक भारी ॥
बिद्या बिनय निपुन गुन सीला । खेलहिं खेल सकल नृपलीला ॥३॥

करतल बान धनुष अति सोहा । देखत रूप चराचर मोहा ॥
जिन्ह बीथिन्ह बिहरहिं सब भाई । थकित होहिं सब लोग लुगाई ॥४॥

(दोहा)
कोसलपुर बासी नर नारि बृद्ध अरु बाल ।
प्रानहु ते प्रिय लागत सब कहुँ राम कृपाल ॥ २०४ ॥

 

 

Share :

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *