Saturday, 28 December, 2024

Bal Kand Doha 321

157 Views
Share :
Bal Kand  							Doha 321

Bal Kand Doha 321

157 Views

लग्न का वर्णन
 
(चौपाई)
बहुरि कीन्ह कोसलपति पूजा । जानि ईस सम भाउ न दूजा ॥
कीन्ह जोरि कर बिनय बड़ाई । कहि निज भाग्य बिभव बहुताई ॥१॥

पूजे भूपति सकल बराती । समधि सम सादर सब भाँती ॥
आसन उचित दिए सब काहू । कहौं काह मूख एक उछाहू ॥२॥

सकल बरात जनक सनमानी । दान मान बिनती बर बानी ॥
बिधि हरि हरु दिसिपति दिनराऊ । जे जानहिं रघुबीर प्रभाऊ ॥३॥

कपट बिप्र बर बेष बनाएँ । कौतुक देखहिं अति सचु पाएँ ॥
पूजे जनक देव सम जानें । दिए सुआसन बिनु पहिचानें ॥४॥

(छंद)
पहिचान को केहि जान सबहिं अपान सुधि भोरी भई ।
आनंद कंदु बिलोकि दूलहु उभय दिसि आनँद मई ॥
सुर लखे राम सुजान पूजे मानसिक आसन दए ।
अवलोकि सीलु सुभाउ प्रभु को बिबुध मन प्रमुदित भए ॥

(दोहा)
रामचंद्र मुख चंद्र छबि लोचन चारु चकोर ।
करत पान सादर सकल प्रेमु प्रमोदु न थोर ॥ ३२१ ॥

 

Share :

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *