Saturday, 27 July, 2024

Jayant hurt Sita

98 Views
Share :
Jayant hurt Sita

Jayant hurt Sita

98 Views

जयंत सीता को चाँच मारता है 
 
पुर नर भरत प्रीति मैं गाई । मति अनुरूप अनूप सुहाई ॥
अब प्रभु चरित सुनहु अति पावन । करत जे बन सुर नर मुनि भावन ॥१॥
 
एक बार चुनि कुसुम सुहाए । निज कर भूषन राम बनाए ॥
सीतहि पहिराए प्रभु सादर । बैठे फटिक सिला पर सुंदर ॥२॥
 
सुरपति सुत धरि बायस बेषा । सठ चाहत रघुपति बल देखा ॥
जिमि पिपीलिका सागर थाहा । महा मंदमति पावन चाहा ॥३॥
 
सीता चरन चौंच हति भागा । मूढ़ मंदमति कारन कागा ॥
चला रुधिर रघुनायक जाना । सींक धनुष सायक संधाना ॥४॥
 
(दोहा)
अति कृपाल रघुनायक सदा दीन पर नेह ।
ता सन आइ कीन्ह छलु मूरख अवगुन गेह ॥ १ ॥

 

Share :

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *