Saturday, 27 July, 2024

Nishadha King Guha’s hospitality

112 Views
Share :
Nishadha King Guha’s hospitality

Nishadha King Guha’s hospitality

112 Views

निषादराज गुह की खातिरदारी
 
राम लखन सिय रूप निहारी । कहहिं सप्रेम ग्राम नर नारी ॥
ते पितु मातु कहहु सखि कैसे । जिन्ह पठए बन बालक ऐसे ॥१॥
 
एक कहहिं भल भूपति कीन्हा । लोयन लाहु हमहि बिधि दीन्हा ॥
तब निषादपति उर अनुमाना । तरु सिंसुपा मनोहर जाना ॥२॥
 
लै रघुनाथहि ठाउँ देखावा । कहेउ राम सब भाँति सुहावा ॥
पुरजन करि जोहारु घर आए । रघुबर संध्या करन सिधाए ॥३॥
 
गुहँ सँवारि साँथरी डसाई । कुस किसलयमय मृदुल सुहाई ॥
सुचि फल मूल मधुर मृदु जानी । दोना भरि भरि राखेसि पानी ॥४॥
 
(दोहा)  
सिय सुमंत्र भ्राता सहित कंद मूल फल खाइ ।
सयन कीन्ह रघुबंसमनि पाय पलोटत भाइ ॥ ८९ ॥

 

Share :

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *