लग्न का वर्णन (चौपाई)बहुरि कीन्ह कोसलपति पूजा । जानि ईस सम भाउ न दूजा ॥कीन्ह जोरि कर बिनय बड़ाई । कहि निज भाग्य बिभव बहुताई ॥१॥ पूजे भूपति सकल बरात...
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રામાયણ
01-05-2023
Bal Kand Doha 321
01-05-2023
Bal Kand Doha 322
लग्न का वर्णन (चौपाई)समउ बिलोकि बसिष्ठ बोलाए । सादर सतानंदु सुनि आए ॥बेगि कुअँरि अब आनहु जाई । चले मुदित मुनि आयसु पाई ॥१॥ रानी सुनि उपरोहित बानी ...
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01-05-2023
Bal Kand Doha 323
लग्न का वर्णन (चौपाई)सिय सुंदरता बरनि न जाई । लघु मति बहुत मनोहरताई ॥आवत दीखि बरातिन्ह सीता ॥ रूप रासि सब भाँति पुनीता ॥१॥ सबहि मनहिं मन किए प्रना...
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01-05-2023
Bal Kand Doha 324
लग्न का वर्णन (चौपाई)जनक पाटमहिषी जग जानी । सीय मातु किमि जाइ बखानी ॥सुजसु सुकृत सुख सुदंरताई । सब समेटि बिधि रची बनाई ॥१॥ समउ जानि मुनिबरन्ह बोला...
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01-05-2023
Bharat, Shatrughna and Laxman tie the knot
भरत, शत्रुघ्न और लक्ष्मण की शादी भी संपन्न (चौपाई)कुअँरु कुअँरि कल भावँरि देहीं ॥ नयन लाभु सब सादर लेहीं ॥जाइ न बरनि मनोहर जोरी । जो उपमा कछु कहौं...
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01-05-2023
Bal Kand Doha 326
लग्न का वर्णन (चौपाई)जसि रघुबीर ब्याह बिधि बरनी । सकल कुअँर ब्याहे तेहिं करनी ॥कहि न जाइ कछु दाइज भूरी । रहा कनक मनि मंडपु पूरी ॥१॥ कंबल बसन बिचित...
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01-05-2023
Bal Kand Doha 327
लग्न का वर्णन (चौपाई)स्याम सरीरु सुभायँ सुहावन । सोभा कोटि मनोज लजावन ॥जावक जुत पद कमल सुहाए । मुनि मन मधुप रहत जिन्ह छाए ॥१॥ पीत पुनीत मनोहर धोती...
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01-05-2023
Bal Kand Doha 328
लग्न का वर्णन (चौपाई)पुनि जेवनार भई बहु भाँती । पठए जनक बोलाइ बराती ॥परत पाँवड़े बसन अनूपा । सुतन्ह समेत गवन कियो भूपा ॥१॥ सादर सबके पाय पखारे । जथ...
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01-05-2023
Bal Kand Doha 329
लग्न का वर्णन (चौपाई)पंच कवल करि जेवन लागे । गारि गान सुनि अति अनुरागे ॥भाँति अनेक परे पकवाने । सुधा सरिस नहिं जाहिं बखाने ॥१॥ परुसन लगे सुआर सुजा...
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01-05-2023
Bal Kand Doha 353
महाराजा दशरथ द्वारा विश्वामित्र का पूजन (चौपाई)बिनय कीन्हि उर अति अनुरागें । सुत संपदा राखि सब आगें ॥ नेगु मागि मुनिनायक लीन्हा । आसिरबादु बहुत बि...
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01-05-2023
Dashrath donate cows
महाराजा दशरथ गौदान करते है (चौपाई)नित नूतन मंगल पुर माहीं । निमिष सरिस दिन जामिनि जाहीं ॥बड़े भोर भूपतिमनि जागे । जाचक गुन गन गावन लागे ॥ १ ॥ देखि ...
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01-05-2023
Bal Kand Doha 354
महाराजा दशरथ द्वारा विश्वामित्र का पूजन (चौपाई)सब बिधि सबहि समदि नरनाहू । रहा हृदयँ भरि पूरि उछाहू ॥ जहँ रनिवासु तहाँ पगु धारे । सहित बहूटिन्ह कुअ...
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