माया का प्रभाव गुन कृत सन्यपात नहिं केही । कोउ न मान मद तजेउ निबेही ॥ जोबन ज्वर केहि नहिं बलकावा । ममता केहि कर जस न नसावा ॥१॥ मच्छर काहि कलंक न ला...
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ઉત્તર કાંડ
01-05-2023
Effect of maya
01-05-2023
Uttar Kand Doha 72
माया का प्रभाव जो माया सब जगहि नचावा । जासु चरित लखि काहुँ न पावा ॥ सोइ प्रभु भ्रू बिलास खगराजा । नाच नटी इव सहित समाजा ॥१॥ सोइ सच्चिदानंद घन रामा ...
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01-05-2023
God’s play is difficult to understand
राम की लीला समजना कठिन है असि रघुपति लीला उरगारी । दनुज बिमोहनि जन सुखकारी ॥ जे मति मलिन बिषयबस कामी । प्रभु मोह धरहिं इमि स्वामी ॥१॥ नयन दोष जा कह...
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01-05-2023
How God remove devotee’s veil of ignorance
भगवान भक्त का अज्ञान कैसे दूर करते है सुनु खगेस रघुपति प्रभुताई । कहउँ जथामति कथा सुहाई ॥ जेहि बिधि मोह भयउ प्रभु मोही । सोउ सब कथा सुनावउँ तोही ॥१...
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01-05-2023
Kakbhushundi tell story of Ram’s childhood
काकभुशुंडी श्रीराम की बाललीला का वर्णन करते है राम कृपा आपनि जड़ताई । कहउँ खगेस सुनहु मन लाई ॥ जब जब राम मनुज तनु धरहीं । भक्त हेतु लील बहु करहीं ॥१...
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01-05-2023
The tale of Ram’s childhood
श्रीराम की बाललीला कहइ भसुंड सुनहु खगनायक । रामचरित सेवक सुखदायक ॥ नृपमंदिर सुंदर सब भाँती । खचित कनक मनि नाना जाती ॥१॥ बरनि न जाइ रुचिर अँगनाई । ...
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01-05-2023
Uttar Kand Doha 77
श्रीराम की बाललीला अरुन पानि नख करज मनोहर । बाहु बिसाल बिभूषन सुंदर ॥ कंध बाल केहरि दर ग्रीवा । चारु चिबुक आनन छबि सींवा ॥१॥ कलबल बचन अधर अरुनारे ...
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01-05-2023
Doubt in Kakbhushundi’s mind
श्रीराम की बाललीला सुनकर काकभुशुंडी के मन में संदेह एतना मन आनत खगराया । रघुपति प्रेरित ब्यापी माया ॥ सो माया न दुखद मोहि काहीं । आन जीव इव संसृत न...
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01-05-2023
Ram’s divine play
श्रीराम की बाललीला ऐसेहिं हरि बिनु भजन खगेसा । मिटइ न जीवन्ह केर कलेसा ॥ हरि सेवकहि न ब्याप अबिद्या । प्रभु प्रेरित ब्यापइ तेहि बिद्या ॥१॥ ताते नास...
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01-05-2023
Ram display his divine powers
श्रीराम अपने विराट रूप का दर्शन कराते है मूदेउँ नयन त्रसित जब भयउँ । पुनि चितवत कोसलपुर गयऊँ ॥ मोहि बिलोकि राम मुसुकाहीं । बिहँसत तुरत गयउँ मुख माह...
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01-05-2023
Ram’s divine form
श्रीराम का विराट रूप लोक लोक प्रति भिन्न बिधाता । भिन्न बिष्नु सिव मनु दिसित्राता ॥ नर गंधर्ब भूत बेताला । किंनर निसिचर पसु खग ब्याला ॥१॥ देव दनुज ...
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01-05-2023
Doubt continue in Kakbhushundi’s mind
काकभुशुंडी के मन से संशय नहीं गया भ्रमत मोहि ब्रह्मांड अनेका । बीते मनहुँ कल्प सत एका ॥ फिरत फिरत निज आश्रम आयउँ । तहँ पुनि रहि कछु काल गवाँयउँ ॥१॥...
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