Friday, 6 December, 2024

The marriage procession

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बारात का वर्णन
 
(चौपाई)
कलित करिबरन्हि परीं अँबारीं । कहि न जाहिं जेहि भाँति सँवारीं ॥
चले मत्तगज घंट बिराजी । मनहुँ सुभग सावन घन राजी ॥१॥

बाहन अपर अनेक बिधाना । सिबिका सुभग सुखासन जाना ॥
तिन्ह चढ़ि चले बिप्रबर बृन्दा । जनु तनु धरें सकल श्रुति छंदा ॥२॥

मागध सूत बंदि गुनगायक । चले जान चढ़ि जो जेहि लायक ॥
बेसर ऊँट बृषभ बहु जाती । चले बस्तु भरि अगनित भाँती ॥३॥

कोटिन्ह काँवरि चले कहारा । बिबिध बस्तु को बरनै पारा ॥
चले सकल सेवक समुदाई । निज निज साजु समाजु बनाई ॥४॥

(दोहा)
सब कें उर निर्भर हरषु पूरित पुलक सरीर ।
कबहिं देखिबे नयन भरि रामु लखनू दोउ बीर ॥ ३०० ॥

 

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