Sunday, 27 October, 2024

Bal Kand Doha 301

112 Views
Share :
Bal Kand  							Doha 301

Bal Kand Doha 301

112 Views

बारात का वर्णन
 
(चौपाई)
गरजहिं गज घंटा धुनि घोरा । रथ रव बाजि हिंस चहु ओरा ॥
निदरि घनहि घुर्म्मरहिं निसाना । निज पराइ कछु सुनिअ न काना ॥१॥

महा भीर भूपति के द्वारें । रज होइ जाइ पषान पबारें ॥
चढ़ी अटारिन्ह देखहिं नारीं । लिँएँ आरती मंगल थारी ॥२॥

गावहिं गीत मनोहर नाना । अति आनंदु न जाइ बखाना ॥
तब सुमंत्र दुइ स्पंदन साजी । जोते रबि हय निंदक बाजी ॥३॥

दोउ रथ रुचिर भूप पहिं आने । नहिं सारद पहिं जाहिं बखाने ॥
राज समाजु एक रथ साजा । दूसर तेज पुंज अति भ्राजा ॥४॥

(दोहा)
तेहिं रथ रुचिर बसिष्ठ कहुँ हरषि चढ़ाइ नरेसु ।
आपु चढ़ेउ स्पंदन सुमिरि हर गुर गौरि गनेसु ॥ ३०१ ॥

 

 

Share :

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *