श्रीराम की बाललीलाओं का वर्णन
(चौपाई)
अगनित रबि ससि सिव चतुरानन । बहु गिरि सरित सिंधु महि कानन ॥
काल कर्म गुन ग्यान सुभाऊ । सोउ देखा जो सुना न काऊ ॥१॥
देखी माया सब बिधि गाढ़ी । अति सभीत जोरें कर ठाढ़ी ॥
देखा जीव नचावइ जाही । देखी भगति जो छोरइ ताही ॥२॥
तन पुलकित मुख बचन न आवा । नयन मूदि चरननि सिरु नावा ॥
बिसमयवंत देखि महतारी । भए बहुरि सिसुरूप खरारी ॥३॥
अस्तुति करि न जाइ भय माना । जगत पिता मैं सुत करि जाना ॥
हरि जननि बहुबिधि समुझाई । यह जनि कतहुँ कहसि सुनु माई ॥४॥
(दोहा)
बार बार कौसल्या बिनय करइ कर जोरि ॥
अब जनि कबहूँ ब्यापै प्रभु मोहि माया तोरि ॥ २०२ ॥