मंथरा ने अपनी कोशिश जारी रखी सादर पुनि पुनि पूँछति ओही । सबरी गान मृगी जनु मोही ॥ तसि मति फिरी अहइ जसि भाबी । रहसी चेरि घात जनु फाबी ॥१॥ तुम्ह पू...
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અયોધ્યા કાંડ
01-05-2023
Ayodhya Kand Doha 17
02-05-2023
Ayodhya Kand Doha 49
अयोध्यावासीओं की प्रतिक्रिया एक बिधातहिं दूषनु देंहीं । सुधा देखाइ दीन्ह बिषु जेहीं ॥ खरभरु नगर सोचु सब काहू । दुसह दाहु उर मिटा उछाहू ॥१॥ बिप्र...
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02-05-2023
Ayodhya Kand Doha 116
राम, सीता और लक्ष्मण को देखकर लोगों की प्रतिक्रिया बरनि न जाइ मनोहर जोरी । सोभा बहुत थोरि मति मोरी ॥ राम लखन सिय सुंदरताई । सब चितवहिं चित मन मति ल...
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02-05-2023
Ayodhya Kand Doha 119
राम, सीता और लक्ष्मण वन में ओर आगे चले फिरत नारि नर अति पछिताहीं । देअहि दोषु देहिं मन माहीं ॥ सहित बिषाद परसपर कहहीं । बिधि करतब उलटे सब अहहीं ॥१॥...
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02-05-2023
Ayodhya Kand Doha 121
राम, सीता और लक्ष्मण को देखने के लिए ग्रामवासी उत्सुक नारि सनेह बिकल बस होहीं । चकई साँझ समय जनु सोहीं ॥ मृदु पद कमल कठिन मगु जानी । गहबरि हृदयँ कह...
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02-05-2023
Ayodhya Kand Doha 123
राम के आगमन से सब लोग हर्षित आगे रामु लखनु बने पाछें । तापस बेष बिराजत काछें ॥ उभय बीच सिय सोहति कैसे । ब्रह्म जीव बिच माया जैसे ॥१॥ बहुरि कहउँ छबि...
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02-05-2023
Ayodhya Kand Doha 130
आदर्श भक्त का रेखाचित्र काम कोह मद मान न मोहा । लोभ न छोभ न राग न द्रोहा ॥ जिन्ह कें कपट दंभ नहिं माया । तिन्ह कें हृदय बसहु रघुराया ॥१॥ सब के प्रि...
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02-05-2023
Ayodhya Kand Doha 131
आदर्श भक्त का रेखाचित्र अवगुन तजि सब के गुन गहहीं । बिप्र धेनु हित संकट सहहीं ॥ नीति निपुन जिन्ह कइ जग लीका ।घर तुम्हार तिन्ह कर मनु नीका ॥१॥ गुन त...
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02-05-2023
Ayodhya Kand Doha 138
श्रीराम के आगमन से प्रकृति प्रसन्न केरि केहरि कपि कोल कुरंगा । बिगतबैर बिचरहिं सब संगा ॥ फिरत अहेर राम छबि देखी । होहिं मुदित मृगबंद बिसेषी ॥१॥ बिब...
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02-05-2023
Ayodhya Kand Doha 139
श्रीराम के आगमन से प्रकृति प्रसन्न नयनवंत रघुबरहि बिलोकी । पाइ जनम फल होहिं बिसोकी ॥ परसि चरन रज अचर सुखारी । भए परम पद के अधिकारी ॥१॥ सो बनु सैलु ...
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02-05-2023
Ayodhya Kand Doha 166
कौशल्या ने भरत को ढाढस बँधाई मुख प्रसन्न मन रंग न रोषू । सब कर सब बिधि करि परितोषू ॥ चले बिपिन सुनि सिय सँग लागी । रहइ न राम चरन अनुरागी ॥१॥ सुनतहि...
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02-05-2023
Ayodhya Kand Doha 180
मै राजगादी के लिए योग्य नहीं – भरत कैकेई भव तनु अनुरागे । पाँवर प्रान अघाइ अभागे ॥ जौं प्रिय बिरहँ प्रान प्रिय लागे । देखब सुनब बहुत अब आगे ॥...
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