मिथिला में उत्सव का माहौल (चौपाई)रामहि देखि बरात जुड़ानी । प्रीति कि रीति न जाति बखानी ॥नृप समीप सोहहिं सुत चारी । जनु धन धरमादिक तनुधारी ॥१॥ सुतन्ह...
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રામાયણ
01-05-2023
Festivity galore in Mithila
01-05-2023
Everybody look forward to marriage
राम-सीता के लग्न की प्रतिक्षा (चौपाई)जनक सुकृत मूरति बैदेही । दसरथ सुकृत रामु धरें देही ॥इन्ह सम काँहु न सिव अवराधे । काहिँ न इन्ह समान फल लाधे ॥१॥...
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01-05-2023
Bal Kand Doha 311
राम-सीता के लग्न की प्रतिक्षा (चौपाई)बिबिध भाँति होइहि पहुनाई । प्रिय न काहि अस सासुर माई ॥तब तब राम लखनहि निहारी । होइहहिं सब पुर लोग सुखारी ॥१॥ स...
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01-05-2023
Marriage day decided
लग्न का मुहूर्त निश्चित किया गया (चौपाई)एहि बिधि सकल मनोरथ करहीं । आनँद उमगि उमगि उर भरहीं ॥जे नृप सीय स्वयंबर आए । देखि बंधु सब तिन्ह सुख पाए ॥१॥...
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01-05-2023
Rituals begin
लग्नविधि का मंगल प्रारंभ (चौपाई)उपरोहितहि कहेउ नरनाहा । अब बिलंब कर कारनु काहा ॥सतानंद तब सचिव बोलाए । मंगल सकल साजि सब ल्याए ॥१॥ संख निसान पनव बह...
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01-05-2023
Deities join festivity
लग्नविधि में शामिल होने देवतागण पधारें (चौपाई)सुरन्ह सुमंगल अवसरु जाना । बरषहिं सुमन बजाइ निसाना ॥सिव ब्रह्मादिक बिबुध बरूथा । चढ़े बिमानन्हि नाना ...
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01-05-2023
The marriage
लग्न का वर्णन (चौपाई)जिन्ह कर नामु लेत जग माहीं । सकल अमंगल मूल नसाहीं ॥करतल होहिं पदारथ चारी । तेइ सिय रामु कहेउ कामारी ॥१॥ एहि बिधि संभु सुरन्ह ...
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01-05-2023
Bal Kand Doha 316
लग्न का वर्णन (चौपाई)केकि कंठ दुति स्यामल अंगा । तड़ित बिनिंदक बसन सुरंगा ॥ब्याह बिभूषन बिबिध बनाए । मंगल सब सब भाँति सुहाए ॥१॥ सरद बिमल बिधु बदनु ...
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01-05-2023
Bal Kand Doha 317
लग्न का वर्णन (चौपाई)जेहिं बर बाजि रामु असवारा । तेहि सारदउ न बरनै पारा ॥संकरु राम रूप अनुरागे । नयन पंचदस अति प्रिय लागे ॥१॥ हरि हित सहित रामु जब...
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01-05-2023
Bal Kand Doha 318
लग्न का वर्णन (चौपाई)बिधुबदनीं सब सब मृगलोचनि । सब निज तन छबि रति मदु मोचनि ॥पहिरें बरन बरन बर चीरा । सकल बिभूषन सजें सरीरा ॥१॥ सकल सुमंगल अंग बना...
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01-05-2023
Bal Kand Doha 319
लग्न का वर्णन (चौपाई)नयन नीरु हटि मंगल जानी । परिछनि करहिं मुदित मन रानी ॥बेद बिहित अरु कुल आचारू । कीन्ह भली बिधि सब ब्यवहारू ॥१॥ पंच सबद धुनि मं...
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01-05-2023
Bal Kand Doha 320
लग्न का वर्णन (चौपाई)मिले जनकु दसरथु अति प्रीतीं । करि बैदिक लौकिक सब रीतीं ॥मिलत महा दोउ राज बिराजे । उपमा खोजि खोजि कबि लाजे ॥१॥ लही न कतहुँ हार...
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