शंकर-पार्वती प्रसंग (चौपाई)एक बार त्रेता जुग माहीं । संभु गए कुंभज रिषि पाहीं ॥संग सती जगजननि भवानी । पूजे रिषि अखिलेस्वर जानी ॥१॥ रामकथा मुनीबर्ज ...
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રામાયણ
01-05-2023
Story of Shiva and Parvati
01-05-2023
Bal Kand Doha 49
शंकर-पार्वती श्रीराम को विरही अवस्था में देखते है (चौपाई)रावन मरन मनुज कर जाचा । प्रभु बिधि बचनु कीन्ह चह साचा ॥जौं नहिं जाउँ रहइ पछितावा । करत बिच...
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01-05-2023
Bal Kand Doha 50
श्रीराम के दर्शन से भगवान शंकर भावविभोर (चौपाई)संभु समय तेहि रामहि देखा । उपजा हियँ अति हरपु बिसेषा ॥भरि लोचन छबिसिंधु निहारी । कुसमय जानिन कीन्हि ...
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01-05-2023
Parvati’s doubt
श्रीराम की अवस्था देखकर पार्वती द्विधा में (चौपाई)बिष्नु जो सुर हित नरतनु धारी । सोउ सर्बग्य जथा त्रिपुरारी ॥खोजइ सो कि अग्य इव नारी । ग्यानधाम श्र...
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01-05-2023
Bal Kand Doha 52
भगवान शंकर का पार्वती से श्रीराम की परीक्षा का अनुरोघ (चौपाई)जौं तुम्हरें मन अति संदेहू । तौ किन जाइ परीछा लेहू ॥तब लगि बैठ अहउँ बटछाहिं । जब लगि त...
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01-05-2023
Parvati approaches Ram as Sita
पार्वतीजी सीता का रूप धारण करके श्रीराम के पास गये (चौपाई)लछिमन दीख उमाकृत बेषा चकित भए भ्रम हृदयँ बिसेषा ॥कहि न सकत कछु अति गंभीरा । प्रभु प्रभाउ ...
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01-05-2023
Bal Kand Doha 54
श्रीराम माता पार्वती को अपनी महिमा का दर्शन कराते है (चौपाई)मैं संकर कर कहा न माना । निज अग्यानु राम पर आना ॥जाइ उतरु अब देहउँ काहा । उर उपजा अति द...
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01-05-2023
Bal Kand Doha 55
माता पार्वती वापिस भगवान शंकर के पास (चौपाई)देखे जहँ तहँ रघुपति जेते । सक्तिन्ह सहित सकल सुर तेते ॥जीव चराचर जो संसारा । देखे सकल अनेक प्रकारा ॥१॥ ...
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01-05-2023
Parvati lie to Shiva
माता पार्वती भगवान शंकर से परीक्षा की बात छिपाती है (चौपाई)सतीं समुझि रघुबीर प्रभाऊ । भय बस सिव सन कीन्ह दुराऊ ॥कछु न परीछा लीन्हि गोसाई । कीन्ह प्...
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01-05-2023
Shiva decide to renounce Parvati
सती के त्याग का भगवान शंकर का निर्णय (चौपाई)तब संकर प्रभु पद सिरु नावा । सुमिरत रामु हृदयँ अस आवा ॥एहिं तन सतिहि भेट मोहि नाहीं । सिव संकल्पु कीन्ह...
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01-05-2023
Bal Kand Doha 58
पार्वती को अपनी भूल का अहेसास होता है (चौपाई)हृदयँ सोचु समुझत निज करनी । चिंता अमित जाइ नहि बरनी ॥कृपासिंधु सिव परम अगाधा । प्रगट न कहेउ मोर अपराधा...
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01-05-2023
Parvati decide to end her life
सती का देहत्याग का निर्णय (चौपाई)नित नव सोचु सतीं उर भारा । कब जैहउँ दुख सागर पारा ॥मैं जो कीन्ह रघुपति अपमाना । पुनिपति बचनु मृषा करि जाना ॥१॥ सो ...
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