रामकथा की महिमा (चौपाई)तदपि कही गुर बारहिं बारा । समुझि परी कछु मति अनुसारा ॥भाषाबद्ध करबि मैं सोई । मोरें मन प्रबोध जेहिं होई ॥१॥ जस कछु बुधि बिबे...
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બાલ કાંડ
01-05-2023
Bal Kand Doha 31
01-05-2023
Bal Kand Doha 32
रामकथा की महिमा (चौपाई)राम चरित चिंतामनि चारू । संत सुमति तिय सुभग सिंगारू ॥जग मंगल गुन ग्राम राम के । दानि मुकुति धन धरम धाम के ॥१॥ सदगुर ग्यान बि...
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01-05-2023
Dialogue between Shiva and Parvati
शिव-पार्वती संवाद (चौपाई)कीन्हि प्रस्न जेहि भाँति भवानी । जेहि बिधि संकर कहा बखानी ॥सो सब हेतु कहब मैं गाई । कथाप्रबंध बिचित्र बनाई ॥१॥ जेहि यह कथा...
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01-05-2023
Bal Kand Doha 24
रामचरित्र की महिमा (चौपाई)राम भगत हित नर तनु धारी । सहि संकट किए साधु सुखारी ॥नामु सप्रेम जपत अनयासा । भगत होहिं मुद मंगल बासा ॥१॥ राम एक तापस तिय ...
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01-05-2023
Bal Kand Doha 25
रामचरित्र की महिमा (चौपाई)राम सुकंठ बिभीषन दोऊ । राखे सरन जान सबु कोऊ ॥नाम गरीब अनेक नेवाजे । लोक बेद बर बिरिद बिराजे ॥१॥ राम भालु कपि कटकु बटोरा ।...
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01-05-2023
Bal Kand Doha 26
रामनाम की महिमा (चौपाई)नाम प्रसाद संभु अबिनासी। साजु अमंगल मंगल रासी ॥सुक सनकादि सिद्ध मुनि जोगी । नाम प्रसाद ब्रह्मसुख भोगी ॥१॥ नारद जानेउ नाम प्र...
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01-05-2023
Bal Kand Doha 27
रामनाम की महिमा (चौपाई)चहुँ जुग तीनि काल तिहुँ लोका । भए नाम जपि जीव बिसोका ॥बेद पुरान संत मत एहू । सकल सुकृत फल राम सनेहू ॥१॥ ध्यानु प्रथम जुग मखब...
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01-05-2023
Bal Kand Doha 21
रामनाम की महिमा (चौपाई)समुझत सरिस नाम अरु नामी । प्रीति परसपर प्रभु अनुगामी ॥नाम रूप दुइ ईस उपाधी । अकथ अनादि सुसामुझि साधी ॥१॥ को बड़ छोट कहत अपराध...
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01-05-2023
Bal Kand Doha 28
रामनाम की महिमा (चौपाई)भायँ कुभायँ अनख आलसहूँ । नाम जपत मंगल दिसि दसहूँ ॥सुमिरि सो नाम राम गुन गाथा । करउँ नाइ रघुनाथहि माथा ॥१॥ मोरि सुधारिहि सो स...
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01-05-2023
Bal Kand Doha 22
रामनाम की महिमा (चौपाई)नाम जीहँ जपि जागहिं जोगी । बिरति बिरंचि प्रपंच बियोगी ॥ब्रह्मसुखहि अनुभवहिं अनूपा । अकथ अनामय नाम न रूपा ॥१॥ जाना चहहिं गूढ़ ...
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01-05-2023
Bal Kand Doha 23
रामनाम की महिमा (चौपाई) अगुन सगुन दुइ ब्रह्म सरूपा । अकथ अगाध अनादि अनूपा ॥मोरें मत बड़ नामु दुहू तें । किए जेहिं जुग निज बस निज बूतें ॥१॥ प्रोढ़ि सु...
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01-05-2023
Ram naam mahima
रामनाम की महिमा (चौपाई)बंदउँ नाम राम रघुवर को । हेतु कृसानु भानु हिमकर को ॥बिधि हरि हरमय बेद प्रान सो । अगुन अनूपम गुन निधान सो ॥१॥ महामंत्र जोइ जप...
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